समाज की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की 127 वीं जयंती पर सावित्रीबाई फुले सांयकालीन स्कूल पटरानी में विभिन्न कार्यक्रम का हुआ आयोजन,जिसमे रचनात्मक शिक्षक मंडल पटरानी में बच्चों के लिए एक संयकालिन स्कूल और बालिकाओं के लिए निशुल्क कंप्यूटर सेंटर चलाता है।।शुरुआत सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण से हुई।उसके बाद विद्यालय की संचालिका रेखा बाराकोटी ने सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्ष पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 191 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था तब ऐसा होता था।
सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।
जब फुले दंपत्ति को उच्चवर्गीय, वर्णीय समाज के दबाव में घर से निकाल दिया गया तो उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख ने ही उनको न केवल शरण दी बल्कि उनके अभियान को आगे बढ़ाने में सहायता भी की।इस मौके पर स्कूल के बच्चों के बीच विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं भी हुईं।बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम भी।प्रस्तुत किए।रचनात्मक शिक्षक मंडल के राज्य संयोजक नवेंदु मठपाल द्वारा बच्चों को पुरुस्कृत किया गया।